अकहानी आंदोलन के स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—
नई कहानी के बाद हिंदी कहानी में कई आंदोलन सीमित तथा व्यापक रूप में दिखाई देते हैं जिसमें प्रमुख है—अकहानी, समानांतर कहानी, जनवादी कहानी, सहज कहानी तथा सक्रिय कहानी।
अकहानी आंदोलन 1960 के दशक में नई कहानी के विरोध
में प्रारंभ हुआ था तथा यह फ्रांस की ‘एंटी स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित है। इस आंदोलन
की कहानियों में जीवन के प्रति अस्वीकार का भाव, सभी मूल्य में गहरी आस्था दिखती है।
अकहानी आंदोलन की प्रमुख कहानियां-
‘प्रश्नचिन्ह’ - गंगा प्रसाद विमन
‘रिछ’ - दूधनाथ सिंह
‘नौ साल छोटी पत्नी’ - रविंद्र नाथ कालिया
अकहानी आंदोलन का स्वरूप
क) जीवन मूल्यों का तिरस्कार - अकहानी जीवन मूल्यों की चुनौती देती हुई नई प्रश्न उपस्थित करती है जिससे इसमें भाव बोध के धरातल पर आत्मपीड़न, ऊब, अकेलापन, अजनबीपन का चित्रण दिखाई देता है।
ख) परंपराओं का पूर्ण नकार - अकहानी पुरानी परंपराओं
से अपने संबंध तोड़ देती है तथा उसके प्रति नफरत और गुस्से की आग से जलती हुई मालूम
पड़ती है।
ग) अतिशय आधुनिकता - अकहानी अतिशय आधुनिकता पर
जोर देती है जिससे वह समाज से कट जाती है। यह संबंधहीनता तथा संबंधाभाव जैसी स्थितियों
को उपस्थित करती है जो बहुत ही तकलीफदेह होती है।
घ) यौन उन्मुक्तता पर बल - अकहानी पर—पुरुष या पर—स्त्री के साथ संभोग के दृश्य का वर्णन विस्तार
से करती है तथा समलैंगिक संपर्क एवं पशु संपर्क की कहानियां भी लिखी गई है।
ड़) शिल्पगत अमूर्तता - शिल्प के स्तर पर अकहानी
पारंपरिक शिल्प का विरोध करती है किंतु यह नए शिल्प के प्रति भी उदासीन है जिससे यह
लगता है कि यह एक शिल्पहीन आंदोलन है।
कुल मिलाकर कहे तो अकहानी अमूर्त शैली लेकर चलती है तथा सभी मूल्यों के प्रति
गहरी अनास्था प्रकट करती है। साथ ही यह कहानी धारा निरर्थकता बोध को प्रश्रय देती है।