साठोतरी हिंदी कहानी (टिप्पणी)

 साठोतरी हिंदी कहानी (टिप्पणी)

उत्तर

 नई कहानी के बाद हिंदी कहानी को सामान्यत: समकालीन कहानी या साठोत्तरी कहानी कहते हैं। इसके अंतर्गत कई कहानी आंदोलन सीमित या व्यापक रूप में दिखते हैं जिसमें प्रमुख है।

1. अकहानी — 1960 के दशक में नई कहानी के विरोध में यह आंदोलन शुरू हुआ जो फ्रांस के एंटी स्टोरी मूवमेंट से प्रभावित था। इस आंदोलन में प्रमुख कहानियां गंगा प्रसाद विमल की 'प्रश्नचिन्ह', दूधनाथ सिंह की 'रीछ' तथा रविंद्र कालिया की 'नौ साल छोटी पत्नी' प्रमुख हैं।

 इस कहानी आंदोलन में जीवन मूल्यों के प्रति तिरस्कार, पुरानी परंपराओं को पूर्ण रूप से नकार, आधुनिकता पर अधिक बल एवं यौन उन्मुक्ता तथा शिल्पगत अमूर्तता आदि विशेषताएं दिखती है।

 2. समानांतर कहानी — समानांतर कहानी आंदोलन आठवें दशक में कमलेश्वर द्वारा 'सारिका' पत्रिका तथा 'समानांतर प्रथम' नामक कहानी संग्रह के माध्यम से प्रतिफलित किया।

 कमलेश्वर, कामतानाथ, इब्राहिम शरीफ, सतीश जमाली आदि इसके प्रमुख कहानीकार है।

 इसमें भाव केंद्रों में जकड़ी कहानी को आम आदमी की पीड़ा से जोड़ने, आत्म केंद्रित अनुभववाद से मुक्ति दिलाई तथा व्यक्ति की असहायता, मूल्यहीनता, नैतिक संकट आदि को रेखांकित किया 

3 जनवादी कहानी — 1982 में नई दिल्ली में जनवादी लेखक संघ की स्थापना के साथ जनवादी कहानी आंदोलन का आरंभ माना जाता है। इसमें रमेश उपाध्याय, शिवमूर्ति, संजीव आदि प्रमुख कहानिकार है।

 यह कहानी आंदोलन सर्वहारा पर किए जा रहे शोषण के प्रति संघर्ष पर बल देती है तथा किसान, मजदूर आदि के संघर्ष को सूक्ष्मता से दिखाती है।

4. सचेतन कहानी — यह आंदोलन 1960 के बाद महीपसिंह द्वारा शुरू किया गया। इसका दावा है कि नई कहानी और कहानी के दौर की कहानियां सत्रांश और निरर्थकता बोध को इतना दर्शाती है कि जीवन जीने की इच्छा खत्म होने लगती है उदाहरण महीपसिंह की कील तथा शैलेश मटियानी की उसने नहीं कहा था।

5. सहज कहानी — इस आंदोलन के प्रवर्तक अमृतराय थे हालांकि उन्होंने इसे कोई आंदोलन नहीं कहा है। इस कहानी धारा का दावा है कि इतने सारे कहानी आंदोलनों की वजह से कहानियों में मूल कथा रस खत्म हो गया है। नासिरा शर्मा तथा रमेश बन्ना इसके प्रमुख कहानीकार है 

6. सक्रिय कहानी — 1962 में राकेश वत्स द्वारा मंच पत्रिका के माध्यम से शुरू किया गया। जिसमें उन्होंने कहा कि कहानीकारों को अपनी रचनाओं में केवल समस्याओं को प्रस्तुत न करना चाहिए बल्कि पाठक को उससे लड़ने का हौसला भी देना चाहिए। 'हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी है' तथा 'एक न एक दिन' इसकी प्रमुख कहानियां है।

UPSC Prelims 2025 Paper PDF – Download Now & Analyze Your Performance

UPSC Prelims 2025 Paper PDF: UPSC Prelims 2025 Paper PDF – Download Now & Analyze Your Performance PdF link Available in this Post.... c...