" 'स्कंदगुप्त' नाटक राष्ट्रीय उन्नत्ति की संवेदना को प्रकट करता हैं।" विवेचना कीजिए। (PYQ - 2023)
उत्तर:-
जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखित 'स्कंदगुप्त' नाटक राष्ट्रीय उन्नति की भावना को प्रमुखता से प्रकट करता है। इस नाटक में भारतीय संस्कृति, इतिहास और राष्ट्रप्रेम का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। स्कंदगुप्त की वीरता और नेतृत्व क्षमता को प्रदर्शित करते हुए, प्रसाद ने भारतीयों के मन में राष्ट्रीय गर्व और स्वाभिमान की भावना जागृत की है। निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा इस नाटक की राष्ट्रीय उन्नति की संवेदना को स्पष्ट किया जा सकता है:
1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राष्ट्रीय गौरव:
'स्कंदगुप्त' नाटक का आधार गुप्त साम्राज्य का इतिहास है, विशेषकर सम्राट स्कंदगुप्त का शासनकाल। स्कंदगुप्त ने अपने शासनकाल में देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए हून आक्रमणकारियों का डटकर सामना किया। इस नाटक के माध्यम से प्रसाद ने भारतीयों को उनके गौरवशाली अतीत की याद दिलाई और यह संदेश दिया कि भारतीय सभ्यता ने समय-समय पर विभिन्न चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है।
2. राष्ट्रप्रेम और बलिदान:
स्कंदगुप्त नाटक में राष्ट्रप्रेम और बलिदान की भावना प्रमुख रूप से दिखती है। स्कंदगुप्त ने अपने व्यक्तिगत जीवन और सुख-शांति को तिलांजलि देकर राष्ट्र की रक्षा की। उनकी यह आत्मत्याग और निस्वार्थ सेवा राष्ट्रीय उन्नति की भावना को प्रकट करती है। प्रसाद ने यह संदेश दिया है कि एक सच्चा नेता वही है जो अपने राष्ट्र की सुरक्षा और समृद्धि के लिए अपने निजी स्वार्थों को परे रखता है।
3. एकता और संगठन:
नाटक में दिखाया गया है कि किस प्रकार विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोग एकजुट होकर राष्ट्र की रक्षा के लिए संगठित होते हैं। स्कंदगुप्त ने विभिन्न राज्यों और जातियों को एकजुट किया और उन्हें राष्ट्र की रक्षा के लिए प्रेरित किया। यह भावना आज के समाज के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां एकता और संगठन की शक्ति को राष्ट्रीय उन्नति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
4. सांस्कृतिक पुनर्जागरण:
'स्कंदगुप्त' नाटक में भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। प्रसाद ने यह दिखाया है कि एक राष्ट्र की सच्ची उन्नति तभी संभव है जब उसकी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित और संरक्षित हो। स्कंदगुप्त ने न केवल देश की भौतिक सीमाओं की रक्षा की, बल्कि उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को भी संरक्षित रखा।
5. नेतृत्व और प्रेरणा:
नाटक के माध्यम से प्रसाद ने यह संदेश दिया है कि एक सच्चा नेता वही होता है जो अपने आदर्शों और मूल्यों के प्रति अडिग रहता है और अपने कार्यों से दूसरों को प्रेरित करता है। स्कंदगुप्त की नेतृत्व क्षमता और उनकी दृढ़ता ने राष्ट्र को संकट के समय में भी उन्नति की ओर अग्रसर किया। यह भावना आज के नेताओं और नागरिकों के लिए प्रेरणास्रोत है।
जयशंकर प्रसाद का 'स्कंदगुप्त' नाटक राष्ट्रीय उन्नति की संवेदना को प्रकट करने में अद्वितीय है। इस नाटक ने भारतीयों के मन में राष्ट्रप्रेम, गर्व और स्वाभिमान की भावना को जागृत किया है और यह संदेश दिया है कि एकजुटता, त्याग और सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा के माध्यम से ही राष्ट्र की सच्ची उन्नति संभव है।
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